भारत में निश्चित क्षतिपूर्ति: अवधारणाएंँ, प्रवर्तनीयता और प्रारूपण संबंधी विचार
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Research & Publications
भारत में निश्चित क्षतिपूर्ति: अवधारणाएंँ, प्रवर्तनीयता और प्रारूपण संबंधी विचार
17/12/2024
भारत में निश्चित क्षतिपूर्ति: अवधारणाएंँ, प्रवर्तनीयता और प्रारूपण संबंधी विचार
एम पी राम मोहन, गौरव रे, प्रोमोड मुरुगावेलु, और जीरी संजना रेड्डी
Working Papers & Projects
अनुबंध संबंधी दायित्वों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप पार्टियों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने में अनुबंध कानून में क्षति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। परिसमाप्त क्षति धाराएँ व्यावसायिक निश्चितता और पार्टी की स्वायत्तता को बढ़ावा देती हैं। भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 74 परिसमाप्त क्षति पर कानून को संहिताबद्ध करती है। वर्षों से, अदालतों ने परिसमाप्त क्षति धाराओं की वैधता, दायरे और आवश्यक पहलुओं पर निर्णय लेते समय कई मूल्यांकन मानदंड और व्याख्यात्मक उपकरण नियोजित किए हैं। यह पेपर परिसमाप्त क्षतियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों का विश्लेषण करता है और एक वैध और कानूनी रूप से लागू करने योग्य परिसमाप्त क्षति खंड का मसौदा तैयार करने में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए इस विश्लेषण का उपयोग करने का प्रयास करता है।